नई दिल्ली । राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने नई दिल्ली में तीसरे ऑडिट दिवस समारोह में शामिल हुईं और संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के नेतृत्व में, सरकार के लेखापरीक्षा समुदाय ने सत्यनिष्ठा, शासन और प्रणाली निर्माण को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के लोग वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ना चाहते हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सीएजी समेत देश के सभी महत्वपूर्ण संस्थानों और समुदायों को योगदान देना होगा। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि सीएजी ने डेटा प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र की स्थापना सहित कई दूरदर्शी कदम उठाए हैं, जिसमें भविष्य के अनुरूप डिजिटल तकनीक और अन्य आधुनिक तरीकों का उपयोग किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि सीएजी की पूरी टीम से एक नियंत्रक और परीक्षक के रूप में योगदान की उम्मीद की जाती है जो देश की विकास यात्रा में साथी और मार्गदर्शक दोनों है। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में सीएजी टीम की अहम भूमिका होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज की वैश्विक प्रतिस्पर्धा वाली बाजार प्रणाली का प्रभाव सभी संस्थानों और उद्यमों के लिए प्रासंगिक है। देश के सभी उद्यमों और गतिविधियों में नैतिकता के आधार पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता लगातार बढ़नी चाहिए। वित्तीय औचित्य और वैधता सुनिश्चित करते हुए त्वरित वृद्धि और विकास के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधाओं को दूर करना सीएजी सहित सुशासन के लिए जिम्मेदार प्रत्येक संस्थान और व्यक्ति के प्रभावी योगदान की कसौटी है। उन्होंने कहा कि लेखा परीक्षकों को सुशासन के सूत्रधार के रूप में माना जाना चाहिए, न कि आलोचकों के रूप में। उन्होंने कहा कि उन्हें मार्गदर्शक माना जाना चाहिए जिनकी जांच-पड़ताल हमें सही रास्ते पर चलना सिखाती है।