भोपाल। शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए मप्र में सरकार कई नवाचार कर रही है। नए सत्र से प्रदेश के स्कूलों का माहौल बदला-बदला होगा। छोटे बच्चों को किताबों और बस्तों के बोझ से मुक्ति दिलाते हुए रोचक अंदाज में शिक्षा दी जाएगी। यही नहीं आंगनबाड़ी से ही अक्षरज्ञान पर जोर दिया जाएगा। वर्तमान में कम शिक्षित कार्यकर्ता ही बच्चों से रूबरू होती हैं। अब इनमें अधिक पढ़े-लिखे शिक्षकों की भर्ती की जाएगी जो पहले तीन साल बच्चों की शिक्षा का आधार मजबूत करेंगे। इतना ही नहीं पहली-दूसरी कक्षा भी बस्ताविहीन रहेंगी। प्राथमिक कक्षाओं की किताबें शिक्षकों के लिए छपेंगी जो विद्यार्थियों को किस्से-कहानियों से शिक्षित करेंगे। तीसरी से पांचवीं तक भी किताबें अनिवार्य नहीं रहेंगी।
प्रदेश की नई शिक्षा नीति के तहत पांचवीं तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा दी जाएगी। शिक्षक रोचक उदाहरणों के माध्यम से सामान्य गणित एवं सामान्य ज्ञान की शिक्षा देंगे। कुल मिलाकर विद्यार्थी के सिर से पढ़ाई का बोझ कम कर उन्हें नॉलेज देने पर फोकस रहेगा। ताकि वे रट्टा मार मानसिकता से बाहर आकर अपने कौशल के अनुसार करियर बना सकें। साथ ही अब पांचवीं और आठवीं में परीक्षा ली जाएगी। आठवीं तक सीधे अगली कक्षा में प्रमोशन देने से सबसे अधिक दिक्कत 10वीं बोर्ड में आती है इसलिए पांचवीं से ही छलनी लगाई जाएगी। हालांकि ये परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर न होकर कक्षा स्तर के ज्ञान को परखने के लिए लघु उत्तरीय सवालों के जरिये ली जाएगी ताकि विद्यार्थी को परीक्षा का महत्व समझ आए।
अब 15 साल में स्कूल शिक्षा होगी पूरी
केंद्र सरकार की शिक्षा नीति 5+3+3+4 पैटर्न को लागू किया जाएगा। नए पैटर्न में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के तहत पहले 5 साल में तीन वर्ष आंगनबाड़ी और 2 वर्ष पहली-दूसरी कक्षा के रहेंगे। अगले तीन साल तीसरी से पांचवीं तक प्रयोग आधारित शिक्षा दी जाएगी। इसके बाद 3 साल मिडिल और 4 साल हायर सेकंडरी होगी। पहले 5 साल की किताबें तैयार हैं। जल्द घोषणा होगी। फिर चार साल में 12वीं तक पूरा नया पैटर्न लागू हो जाएगा। कोर्स में केंद्र के सिलेबस के साथ स्थानीय सामग्री भी जोड़ी जाएगी।
छठवीं से ही कम्प्यूटर की शिक्षा
अब छठवीं कक्षा से व्यावसायिक प्रशिक्षण इंटर्नशिप भी शुरू की जाएगी। इससे विद्यार्थी को ग्रेडिंग सुधारने और अपने हूनर को निखारने में कम उम्र से ही काफी मदद मिलेगी। अब छठवीं से ही कम्प्यूटर और मोबाइल एप्लीकेशन की शिक्षा दी जाएगी और कोडिंग सिखाई जाएगी। इसके लिए स्कूलों में डिजिटल इंतजाम किए जाएंगे। स्कूलों में वर्चुअल लैब डेवलप की जाएगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल किया जाएगा। विषयवार कंटेंट को विद्यार्थी ज्यादा आसानी से समझ या सीख सकें इसलिए कंटेंट क्षेत्रीय भाषा में भी अनुवादित किए जाएंगे।
हायर सेकंडरी में संस्कृत अनिवार्य
कक्षा नौवीं से बाहरवीं तक अब तीनों भाषाएं हिंदी अंग्रेजी एवं संस्कृत अनिवार्य की जाएंगी। अभी तक ऐच्छिक होने के कारण संस्कृत को हटा दिया जाता रहा है। व्यावसायिक शिक्षा भी दी जाएगी। मार्कशीट में नंबरों की जगह ग्रेड दी जाएगी। इससे विद्यार्थी का समग्र मूल्यांकन हो सकेगा। नौंवीं कक्षा से सब्जेक्ट चुनने की आजादी रहेगी। यानी पहले की तरह आट्र्स कॉमर्स साइंस कृषि गणित विषय चुनने जैसी बाध्यता नहीं रहेगी। विद्यार्थी इन सबके कॉम्बिनेशन वाले कोई भी तीन विषय ले सकेंगे। स्कूल शिक्षा में अब कानून और मेडिकल की पढ़ाई को भी शामिल किया जाएगा।