भोपाल    माननीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न जिलों में रु. 154.78 करोड़ की लागत के 8 शहरी स्वास्थ्य संस्थाओं के नवीन निर्माण कार्यों का भूमिपूजन एवं रु.72.03 करोड़ की लागत के 4 शहरी स्वास्थ संस्थाओं के नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण कर शुभकामनाएं दी। माननीय राष्ट्रपति महोदय और माननीय राज्यपाल मंगुभाई पटेल जी की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न इस कार्यक्रम में सहभागिता का मुझे भी सुअवसर प्राप्त हुआ। कोरोना संकटकाल में चारों तरफ पीड़ित लोग थे, जिनकी सेवा में समर्पित कई चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी भाई-बहनों ने अपनी जान गंवा दी। ऐसी दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने COVID से देश को बचाने के लिए कुशल नेतृत्व किया। आपने आपदा में अवसर और आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया। हम आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश गढ़ेंगे। 

हमारी संस्कृति में कहा गया है पहला सुख निरोगी काया, शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्। स्वस्थ शरीर के बिना काम नहीं चलता। हम मध्यप्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था और चिकित्सा शिक्षा की व्यवस्था सुदृढ़ कर रहे हैं। नए मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। हमारा संकल्प है कि कोई भी गरीब बिना इलाज के नहीं रहेगा। हम स्वास्थ्य सुविधाओं को लगातार सुदृढ़ बना रहे हैं। हमारे प्रदेश में 1964 के बाद वर्षों तक कोई मेडिकल कॉलेज नहीं खुला था l हमने आने के बाद पहले सागर में मेडिकल कॉलेज खोला, फिर 13 नए मेडिकल कॉलेज खोले, अब और 3 नए मेडिकल कॉलेज खोलने वाले हैं।

हमें गर्व है कि स्वच्छता अभियान में मध्यप्रदेश प्रथम पंक्ति में खड़ा है और इंदौर जैसा हमारा शहर नंबर एक बना हुआ है और अन्य शहर भी स्वच्छता के क्षेत्र में अभिनव और रचनात्मक प्रयास कर रहे हैं। एक तरफ मेडिकल कॉलेज की श्रंखला जिनसे बेहतर डॉक्टर मिल सके, दूसरी तरफ जिला चिकित्सालय, मेडिकल कॉलेज से जुड़े हुए चिकित्सालय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जहां न्यूनतम सारी व्यवस्थाएं हो, हमने उनका युद्धस्तर पर उनका विस्तार प्रारंभ किया है। एक तरफ चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार दूसरी तरफ गरीब को निःशुल्क इलाज यह संकल्प मैंने  लिया हुआ है। मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश में 2 करोड़ 70 लाख से ज्यादा कार्ड बन चुके हैं।


भारत की बड़ी आबादी और तमाम विविधताओं के बावजूद हम कोरोना संकटकाल से उबरने में कामयाब रहे। अनेक देशों में भारतीय मूल के डॉक्टर बड़ी संख्या में काम करते हैं वहां भी उन्हें बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। विदेशों से बहुत से लोग भारत में इलाज करवाने आते हैं क्योंकि भारत में इलाज सस्ता है। पिछले कई वर्षों में मेरे समक्ष कई ऐसे उदाहरण आए जिनसे यह पता चला कि हमारे प्रतिभावन डॉक्टर्स ने विदेशों में बसने या बड़े अस्पतालों में काम करने की जगह देश के जनजातीय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रहकर सेवा तथा त्याग का व्रत लिया।   

डॉक्टर लीला जोशी स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं तथा रतलाम जिले की जनजाति तथा ग्रामीण एवम शहरी मलिन बस्तियों में एनीमिया के कारण होने वाली मृत्यु दर को कम करने में 2 दशकों से भी अधिक समय से काम कर रही है। भारतीय रेलवे से रिटायर होने के बाद उन्होंने किसी बड़े शहर में में रहने की बजाय रतलाम को अपनी कर्मभूमि बनाया और जनजातीय समाज की सेवा को अपना मिशन बनाया। देवियों और सज्जनों, अंतिम सोपान के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने एवं राज्य के 8 करोड़ से अधिक लोगों को जीवन को बेहतर बनाने के लिए, भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार के प्रयासों की सफलता के लिए ऐसे ही सेवाव्रती चिकित्सकों की आवश्यकता है। मेरी शुभकामना है कि आपके प्रयास सफल हों तथा राज्य के लोग निरोगी एवं सुखी जीवन व्यतीत करें। मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी और उनकी पूरी टीम की मध्यप्रदेश में शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रयासों की सराहना करता हूं।