आज कल की भाग दौड़ की जिंदगी में कई लोग मिलते जुलते रहते है। उस भीड़ में से कोई एक - दो ही इंसान होता है जो सच्चा मित्र बनता है। नहीं तो आज कल के समय में आधे से ज्यादा रिश्ते सिर्फ मतलब के रह गए है। आज के समय में लोग ऐसे है की अगर उनका आपसे काम होगा तो वो आपके साथ रहेंगे और जब उनका काम निकल जायेगा तो वो आपको पलट के देखेंगे भी नहीं।

ऐसे स्वार्थी और मतलबी लोग आज के समय में आपको हर मोड़ पर मिलेंगे। अगर कहा जाए तो किसी भी व्यक्ति के पास इंसानियत जिंदा रही नहीं गया है। जिस पल हमारे भीतर लोभ, स्वार्थ खत्म होता है, उसी पल हमारे भीतर ज्ञान की किरण प्रवेश करती है।

यदि आपके रिश्तों की सिलाई भावनाओं के धागे से हुई है तो उसका टूटना मुश्किल है। लेकिन ऐसे भावना किसी के पास रह ही नहीं गया है। स्वार्थ पर रिश्ता टिके होने की वजह से रिश्तों की उम्र बहुत छोटी होने लगी है। आइए जानते है की इन बातों से हमारे रिश्तों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

लोगों में स्वार्थता की वजह से उनके रिश्ते खराब होते जा रहे है। अगर व्यक्ति के अंदर स्वार्थ की भावना खत्म हो जाए तो समझ ले की वही इंसानियत की शुरुआत हो गई है।

ये आम बात हो गया है की लोग अपने फायदे के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाने में जरा सा देर नहीं करते है। जैसे उनका फायदा होगा वैसे वो अपना काम कर लेंगे। और यही बीज उनके दुःख का कारण बन जाता है।

हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है, क्योंकि बगैर स्वार्थ के तो लोग ईश्वर की साधना-आराधना भी नहीं करते है। लेकिन ये भी जरूरी नहीं है की हर मित्रता स्वार्थी ही हो।

जीवन में हमारे लिए कोई निःस्वार्थ की भावना रखता है तो वो हमारे माता - पिता और सच्चे मित्र नहीं तो बाकी सब स्वार्थी रिश्ता हो गया है।

इंसान अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए न जानें क्या-क्या करता है। स्वार्थ के चक्कर में ही कितनो को चोट भी पहुंचा देता है। लेकिन अंत में वो जब मारता है तो उसके साथ कुछ भी नहीं जाता है। तो इंसान को अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए इंसानियत नहीं छोड़नी चाहिए।