सूर्य ग्रह के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 14 जनवरी को पड़ रहा है। मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति का एक अन्य नाम भी है खिचड़ी। संक्रांति के दिन गुड़, घी, नमक और तिल के अलावा काली उड़द की दाल और चावल को दान करने का विशेष महत्व है। घर में भी इस दिन उड़द की दाल की खिचड़ी बनाई जाती है और इसी को कहते हैं। इसके अलावा लोग प्रसाद के रूप में भी खिचड़ी बांटते हैं। इस कारण तमाम जगहों पर इस त्योहार को भी खिचड़ी के नाम से जाना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं इस पर्व का नाम खिचड़ी क्यों रखा गया और इसको खिचड़ी नाम किसने दिया। आइए जानते हैं ।

किसने शुरू की यह परंपरा
कहा जाता है कि मकर संक्रान्ति के दिन खिचड़ी बनाने की प्रथा बाबा गोरखनाथ के समय से शुरू हुई थी। बताया जाता है कि जब खिलजी ने आक्रमण किया था, तब नाथ योगियों को युद्ध के दौरान भोजन बनाने का समय नहीं मिलता था और वे भूखे ही लड़ाई के लिए निकल जाते थे। ऐसे समय में बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जियों को एक साथ पकाने की सलाह दी थी। क्योंकि यह तुरंत ई तैयार हो जाती थी। इसके साथ ही ये पौष्टिक होती थी और साथ ही इससे योगियों का पेट भी भर जाता था।

खिचड़ी नाम किसने रखा
तुरंत तैयार होने वाले इस पौसटिक व्यंजन का नाम बाबा गोरखनाथ ने खिचड़ी रखा। खिलजी से मुक्त होने के उपरांत मकर संक्रांति के दिन योगियों ने उत्सव मनाया। उस दिन इसी खिचड़ी का वितरण किया गया। तब से मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की परंपरा शुरू हुई। मकर संक्रांति के अवसर पर आज भी गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेला लगता है और लोगों को प्रसाद के रूप में इसे वितरित किया जाता है।

क्या है खिचड़ी का धार्मिक महत्व
मान्यता है कि मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर उनसे मिलने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में उड़द की दाल को शनि से संबंधित बताया गया है। ऐसे में मकर संक्रांति पर उड़द दाल की खिचड़ी का सेवन करने से सूर्यदेव और शनिदेव दोनों प्रसन्न होते हैं। इसके अटरिक्त ज्योतिष शास्त्र की मानें तो चावल को चंद्रमा का, नमक को शुक्र का, हल्दी को गुरू बृहस्पति का, हरी सब्जियों को बुध का कारक माना गया है। वहीं खिचड़ी की गर्मी से इसका संबंध मंगल से भी जोड़ा जाए। तो ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से सभी कुंडली में लगभग सभी ग्रहों की स्थिति सुधरती है।