भोपाल ।   देश में कोरोना के नए वैरिएंट एक्सई की दस्तक के साथ ही कुछ राज्यों में मरीजों की संख्या और संक्रमण दर बढ़ी है। मध्य प्रदेश में भी मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। इसकी वजह यह कि आने-जाने से लेकर भीड़ वाले आयोजनों में भी कोई रोक अब नहीं है। मरीज कम होने के साथ ही लोगों ने खूब लापरवाही भी शुरू कर दी है। ऐसे में विशेषज्ञों ने चेताया है कि सतर्क और सावधान रहने की बहुत जरूरत है। एम्स भोपाल के पूर्व निदेशक व आइसर के प्रोफेसर (वायरोलाजिस्ट) डा. सरमन सिंह ने कहा कि अभी तक यही समझ में आ रहा है कि ओमिक्रोन का एक्सई वैरिएंट संक्रामक ज्यादा और घातक कम होगा। जिन लोगों ने कोरोनारोधी टीका लगवाया है, उनमें लगभग 60 प्रतिशत का ओमिक्रोन की तरह बचाव हो जाएगा। ऐसे में जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है, वह देरी न करें।

अप्रैल के बाद ही स्थिति साफ होगी

जीएमसी भोपाल के छाती व श्वास रोग विभाग के प्रमुख और राज्य सरकार कोविड-19 सलाहकार डा. लोकेंद्र दवे ने कहा कि पहली, दूसरी और तीसरी लहर में मरीज मार्च और अप्रैल में ही बढ़े थे। यह राहत की बात है कि आधा अप्रैल निकल चुका है। नए वैरिएंट से संक्रमण फैलने का खतरा तो है, लेकिन अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधान रहना जरूरी है।

बुजुर्गों को विशेष सावधानी रखने की जरूरत

भोपाल के छाती व श्वास रोग विशेषज्ञ डा. पीएन अग्रवाल ने कहा कि पर्यटन गतिविधियां शुरू हो गई हैं। भीड़ वाले आयोजन हो रहे हैं। अभी विवाह के मुहूर्त भी हैं। ऐसे में संक्रमण बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। घर में लोगों की भी जिम्मेदारी है कि बाहर से आने पर अच्छे से हाथ धोए बिना बुजुर्गों को नहीं छूना चाहिए।

12 से 14 साल के 61 प्रतिशत किशोरों को ही लगा टीका

कोरोना मरीजों की संख्या कम होने के बाद प्रदेश में कोरोनारोधी टीका लगाने की गति कम हो गई है। 12 से 14 साल तक के 30 लाख बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया था, इनमें अभी 18 लाख 44 हजार यानी 61 प्रतिशत बच्चों ने ही टीका लगवाया है। भोपाल समेत आठ जिलों में लक्ष्य के मुकाबले 50 प्रतिशत बच्चों को भी टीका नहीं लग पाया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कम टीकाकरण के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार बता रहे हैंं।

कोई नया वैरिएंट नहीं, लगातार हो रही जीनोम सिक्वेंसिंग

स्वास्थ्य संचालनालय की अपर संचालक डा. वीणा सिन्हा ने बताया कि प्रदेश भर से हर महीने करीब 150 सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच के लिए एम्स भोपाल भेजे जा रहे हैं। कोई नया वैरिएंट नहीं मिला है। डेल्टा और ओमिक्रोन ही मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जांच व इलाज के संबंध में पहले से ही दिशा निर्देश जारी हैं। अभी प्रदेश में मरीज नहीं बढ़ रहें है, इसलिए अलग से चौथी लहर की आहट को लेकर कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।