चंडीगढ़ । पंजाब में इन  दिनों पालतू मवेशियों में एक गंभीर लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) संक्रमण का प्रकोप चल रहा है जिसके कारण 400 से अधिक मवेशियों की जान जा चुकी है और लगभग 20 हजार गायें इससे संक्रमित हो चुकी हैं। इसके चलते विभाग ने पशुओं को संक्रमण से बचाने के लिए दिशा निर्देश भी जारी किए है। पंजाब पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक राम पाल मित्तल के मुताबिक इस रोग से बरनाला, बठिंडा, फरीदकोट, जालंधर, मोगा और मुक्तसर राज्य के सर्वाधिक प्रभावित जिलों में शामिल हैं। मित्तल ने बताया कि पंजाब में चार जुलाई को ‘लम्पी’ त्वचा रोग का पहला पुष्ट मामला सामने आया था। उन्होंने कहा कि पंजाब में अब तक एलएसडी के करीब 20,000 मामले दर्ज किए गए हैं और 424 मवेशियों की मौत हो चुकी है।
लम्पी स्किन डिजीज एक संक्रामक बीमारी है, जो मच्छर, मक्खी, जूं इत्यादि के काटने या सीधे संपर्क में आने अथवा दूषित खाने या पानी से फैलती है। इससे पशुओं में तमाम लक्षण उभरने के साथ ही उनकी जान जाने का भी जोखिम रहता है। संक्रमित गायों की ज्यादातर सूचना गौशालाओं और डेयरी फार्मों से मिली है। पशुपालन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक लम्पी से संक्रमित पशु से संक्रमण फैलने की आशंका टालने के लिए उसे दूसरों से अलग किया जाना चाहिए।
एडवाइजरी में कहा गया है कि ऐसे जानवरों की आवाजाही को भी प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। लम्पी से प्रभावित जानवरों को हरा चारा और तरल आहार दिया जाना चाहिए। मित्तल ने कहा कि पशु मालिकों को स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए और पशुओं के बाड़े में कीटाणुनाशक का छिड़काव करना चाहिए। राज्य सरकार ने संक्रामक रोग की रोकथाम के लिए फील्ड वेटनरी स्टाफ को अभियान तेज करने का निर्देश पहले ही दे दिया है। सरकार ने यह भी आदेश दिया है कि सर्वाधिक प्रभावित जिलों में तत्काल प्रभाव से पशु चिकित्सा अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जाए। पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान पशुपालन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने कहा कि लंपी स्किन बीमारी विशेष तौर पर गायों में फैल रही है और राज्य के कई जिले इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को हिदायत की कि वे पशुपालकों के शेडों का रोजाना दौरा करें और पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएं।