धर्म के साथ स्वयंभू है रेणुका माता की प्रतिमा मंदिर में दोनों नवरात्र लगता है मेला करीब 5 हजार लोग रोजाना करते हैं दर्शन मंदिर के पीछे सिक्का चिपकाने की मान्यता कहा जाता है शारदीय नवरात्रि में भारत के कोने-कोने में स्थित माता के मंदिरों में धूम धाम से ये पर्व मनाया जाता है। खासतौर पर इनके शक्तिपीठ व प्राचीन मंदिरों का इन दिनों नजारा देखने लायक होता है। जी हां, इस आर्टिकल को पढ़ने वाले कुछ लोग शायद समझ चुके हैं कि हम किस बारे में बात करने जा रहे हैं। दरअसल नवरात्रि के अवसर पर हम आपको माता के एक बेहद प्राचीन मंदिर से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिससे अनोखी मान्यता जुड़ी हुई है।

दरअसल हम बात करने जा रहे हैं बुरहानपुर में श्रद्धा व आस्था का केंद्र कहे जाने वाले रेणुका माता मंदिर कि जो बेहद प्राचीन व खास माना जाता है। बताया जाता है प्रत्येक वर्ष चैत्र व शारदीय नवरात्रि के दौरान जहां मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग शामिल होने आते है। यहां के लोक मत के अनुसार मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में स्थित रेणुका मंदिर में नवरात्रि के दौरान भक्ति का बेहद अद्भुत हर्षो-उल्लास देखा जाता है। मुख्यरूप से नवरात्रि में यहां रोज़ाना 5 हज़ार लोग माता के दर्शन को आते हैं।

मंदिर से जुड़ी किंवदंतियों की ओर ध्यान दें तो माना जाता है कि ये मंदिर लगभग 400 वर्ष पूर्व का है, जहां माता रेणुका की स्वयंभू प्रतिमा स्थापित है। मंदिर से संबंधित जो सबसे खास बात है वो ये है कि मंदिर में एक सिक्का चिपकाने की अनोखी परंपरा प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है मंदिर के पिछले भाग में सिक्कार चिपकानी को अनोखी प्रथा प्रचलित है। जिसके बारे में कहा जाता है कि अगर दीवार पर सिक्का चिपक जाए तो इसका अर्थ होता है कि भक्त द्वारा की गई प्राथना या मांगी जाने वाली मनोकामना जल्द ही पूरी हो जाएगी।
परंतु वहीं अगर सिक्का न चिपके तो ये इस बात की ओर संकेत करता है कि अभी व्यक्ति कई अन्य परीक्षाओं का सामना करना होगा। इस मंदिर में दोनों ही नवरात्र में श्रृद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। बताया जाता है इसके आसपास नगर निगम ने रेणुका उद्यान भी लगा दिए गए हैं जो इसके महत्व को और अधिक बढ़ाते हैं। बता दें नवरात्रों के अतिरिक्त यहां प्रत्येक मंगलवार को भी मेला जैसा माहौल होता दिखाई देता है।

इस मंदिर को पर्यटन विकास निगम द्वारा विकसीत करने का कार्य भी प्रारंभ हो चुका है। यहां भक्त दर्शन पूजन कर माता के चरणों में कमल का फूल अर्पित किए जाते हैं। बताया जाता है आरती करने के बाद प्रसाद चढ़ाने के साथ-साथ भक्त माता के चरणों में मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूर्ण होने पर परिवार के साथ यहां पंहुचते हैं मंदिर के पिछले भाग में सिक्का चिपकाते हैं।