नई दिल्ली । बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक के खर्च वाली 412 परियोजनाओं की लागत इस साल अगस्त तक तय अनुमान से 4.77 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा बढ़ गई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है। मंत्रालय की अगस्त, 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,762 परियोजनाओं में से 412 की लागत बढ़ गई है, जबकि 830 अन्य परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन 1,762 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 25,01,400.62 करोड़ रुपए थी लेकिन अब इसके बढ़कर 29,78,681.31 करोड़ रुपए हो जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 4,77,280.69 करोड़ रुपए बढ़ गई है।अगस्त, 2023 तक इन परियोजनाओं पर 15,57,188.10 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 52.28 प्रतिशत है। हालांकि मंत्रालय ने कहा है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 624 पर आ जाएंगी। रिपोर्ट में 339 परियोजनाओं के चालू होने के साल की जानकारी नहीं दी गई है। 
रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 830 परियोजनाओं में से 194 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 190 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 323 परियोजनाएं 25 से 60 महीने और 123 परियोजनाएं 60 महीने से अधिक की देरी से चल रही हैं। इन 830 परियोजनाओं में विलंब का औसत 36.96 महीने है। इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है। इसके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिए जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है।