अनूपपुर ।  मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से ही अनूपपुर जिले की पहचान है। यहां से जिला मुख्यालय की ओर बढ़ने पर करीब 50 किमी बाद अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र की सीमा प्रारंभ हो जाती है। यहां से भाजपा विधायक बिसाहूलाल सिंह राज्य के खाद्य मंत्री भी हैं। रास्ते में एक गांव है जमूड़ी। शाम का समय और मुख्य सड़क पर दो-तीन दुकानों का कुल जमा बाजार। इनमें से एक दुकान पर कुछ लोग बैठे दिखाई देते हैं 

मुद्दे, दावों, दलबदल जैसे विषयों पर लोग सरकार से नाराज नहीं हैं, उन्हें शिकायत है सरकारी मशीनरी से और इसे घेरे रहकर अपने काम कराने वाले सत्ता समर्थकों से। इनकी वजह भी वे सब गिनाते हैं। अधराज को शिकायत है कि उन्हें अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला। सग्गल खां जीवन के 73 बसंत देख चुके हैं लेकिन वे भी वंचित हैं। संदीप दीक्षित कहते हैं कि नाम आ गया था लेकिन काट दिया गया। प्रमाण में लोग अंग्रेजी में बनी वह सूची भी दिखाते हैं जिसमें इन सबका नाम था। ऐसा क्यों हो रहा है, जवाब में सब कहते हैं कि सचिव, सरपंच और मंत्री के खास लोग अपने-अपने लोगों का नाम आगे बढ़ा देते हैं। इसके पीछे रिश्वत का खेल होता है। संदीप जोड़ते हैं, मेरा तो फोटो भी खींच लिया था। अफसर अली और इलियास कहते हैं कि जिनका नाम आया या जिनके आवास बने, उनकी जांच हो तो सारी हकीकत सामने आ जाएगी। एक परिवार में एक ही आवास का नियम है लेकिन कई परिवार ऐसे भी हैं, जिनमें सभी भाइयों को आवास मिल गए। गांव में पेयजल समस्या और सरकारी व्यवस्था का उदाहरण देते हुए वे गड्ढे और कचरे के बीच लगे एक हैंडपंप को दिखा देते हैं।

ओवरब्रिज निर्माण में देरी

ओवरब्रिज निर्माण में देरी अनूपपुर जिला 15 अगस्त 2003 को अस्तित्व में आया। 20 साल में शहर का विस्तार होता गया। स्टेशन के दोनों ओर बसे शहर की आबादी भी बढ़ी तो ओवरब्रिज की जरूरत महसूस हुई। यह बहुप्रतीक्षित मांग पूरी हुई लेकिन लोग निर्माण कार्य में देरी से लोग नाराज हैं।

विपक्ष का प्रतिकार सौ काम भी नहीं हुए विधायक ने अभी तक एक हजार से ज्यादा घोषणाएं कर दी हैं लेकिन काम सौ भी नहीं हुए। चचाई पावर प्लांट के विस्तार का मामला पांच साल से अटका है। 2018 के विधानसभा चुनाव में इसकी घोषणा हुई थी। अब फिर चुनाव आ गए। हर बार का लालीपाप बन गया है ये मुद्दा।

विधायक का दावा, हर गांव-शहर में काम हुए हैं

ओवरब्रिज का निर्माण तीव्र गति से चल रहा है। बारिश से पहले शुरू हो जाएगा। 200 बिस्तरों का अस्पताल बन रहा है। लड़कियों का कालेज स्वीकृत करवा दिया है। जल्दी ही मुख्यमंत्री चचाई प्लांट में 660 मेगावाट की इकाई का भूमिपूजन करने आ रहे हैं। एक हजार से ज्यादा काम हुए हैं। हर गांव-शहर में बिजली, सड़क और पानी की व्यवस्था की गई है। पार्टी ने टिकट दिया तो जरूर जीतूंगा। प्रदेश में फिर शिवराज सिंह की सरकार बनेगी।

चचाई से बंधी है आशा

अमरकंटक तिराहे पर दवा दुकान के बाहर खड़े देवेंद्र पीजीडीसीए कर चुके हैं लेकिन कोई काम नहीं मिल रहा। माखन को आशा थी कि चचाई पावर प्लांट की क्षमता बढ़कर 660 मेगावाट की जाएगी तो कोई न कोई काम मिल ही जाएगा।

राजनीति से निराश या तटस्थ लोग कहते हैं- कोऊ नृप होय हमें का हानि

बिसाहूलाल सिंह कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते थे लेकिन वर्ष 2020 में जब सिंधिया समर्थकों ने कांग्रेस से बगावत की तो बिसाहूलाल भी भाजपा के पाले में आ गए। उन्हें मंत्री पद से नवाजा गया। अपने शहर और विधानसभा के लिए कुछ करो तो बात समझ में आए। मंत्री ने कितना किया है, यह आपको दिख ही रहा है। शहर की सड़कें ही देख लो। ओवरब्रिज भी बनाया जा रहा है।

- चचाई पावर प्लांट में 660 मेगावाट की नई यूनिट की स्थापना न होना।

- जिला अस्पताल भवन और ओवरब्रिज निर्माण कार्य में लेटलतीफी।

- जिला मुख्यालय पर व्यवस्थित बस स्टैंड की कमी।

- जिला अस्पताल में डाक्टरों की कमी। हृदय रोग, दांत, नाक-कान-गला, रेडियोलाजिस्ट सहित अन्य विशेषज्ञ डाक्टर का न होना।

- कृषि महाविद्यालय स्थापना की मांग पूरी न होना। l

- बड़े बांध न होने से सिंचाई समस्या।

विपक्ष का प्रतिकार सौ काम भी नहीं हुए

विधायक ने अभी तक एक हजार से ज्यादा घोषणाएं कर दी हैं लेकिन काम सौ भी नहीं हुए। चचाई पावर प्लांट के विस्तार का मामला पांच साल से अटका है। 2018 के विधानसभा चुनाव में इसकी घोषणा हुई थी। अब फिर चुनाव आ गए। हर बार का लालीपाप बन गया है ये मुद्दा। 

- विश्वनाथ सिंह, पराजित प्रत्याशी