छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी)-2021 की भर्ती में हुए फर्जीवाड़े की आंच अभी ठंडी भी नहीं पड़ी है कि अब सीजीपीएससी-2022 की भर्ती में भी फर्जीवाड़ा का मामला सामने आने लगा है। दो अभ्यर्थियों सागर वर्मा और तेजराम नेगी के अंक अधिक होने के बाद भी उनसे कम नंबर वाले दो अभ्यर्थियों का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हुआ है।

आयोग का तर्क

पीड़ित अभ्यर्थियों का कहना है कि शिकायत करने पर आयोग ने तर्क दिया कि उन्होंने अपनी उत्तरपुस्तिका में पहचान उजागर कर दी थी, इसलिए साक्षात्कार में नहीं बुलाया गया। वहीं सागर व तेजराम का कहना है कि डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनितों ने भी उत्तरपुस्तिकाओं में अपनी पहचान उजागर की है। एक ने सरपंच भटगांव तो दूसरे ने त थ द लिखते हुए हस्ताक्षर किया है। फिर उन्हें कैसे साक्षात्कार में बुलाया गया।

चयन प्रक्रिया पर उठाया सवाल

पीड़ित अभ्यर्थियों ने सीजीपीएससी की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाया है। इसके पूर्व सीजीपीएससी-2022 भर्ती के एक अन्य अभ्यर्थी शिवम देवांगन का मामला भी सामने आ चुका है, जिसमें उसने आयोग में शिकायत की है कि लिखित परीक्षा में 771 अंक मिलने के बावजूद उसे साक्षात्कार में नहीं बुलाया गया।

सागर वर्मा को 845 अंक मिले हैं। वहीं, तेजराम नेगी को 728 अंक मिले हैं। तेजराम की उत्तरपुस्तिका में 10 नंबर वाले एक उत्तर को जांचा ही नहीं गया है। उसका कहना है कि यदि यह 10 अंक जोड़ दिए जाएं तो उसके कुल 738 अंक हो जाते हैं, वहीं 729 अंक पाने वाले का चयन सहायक जेलर पद के लिए कर लिया गया है।

18 चयनितों पर लगी रोक 

तीनों अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया है कि यदि इन्हें साक्षात्कार में बुलाया जाता तो तीन चहेते चयनितों को बाहर का रास्ता देखना पड़ता। बताते चलें कि पीएसपी की उत्तरपुस्तिकाओं की तीन स्तर पर जांच होती है। यहां सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर तीनों स्तर पर 10 नंबर वाले उत्तर की जांच कैसे नहीं हो पाई? सीजीपीएससी-2021 की भर्ती मामले में हाई कोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के बाद 18 चयनितों पर रोक लगा दी है।