आप सभी ने देखा होगा भक्त आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति बालाजी के मंदिर जाते हैं और यहाँ देश के सबसे अमीर माने जाने वाले इस मंदिर में अपने बाल दान कर आते हैं। लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं? शायद नहीं। तो आज हम आपको बताते हैं इस परंपरा के पीछे की पौराणिक कथा।

पौराणिक मान्‍यता के अनुसार इस दान के पीछे का कारण यह है कि भगवान वेंकटेश्‍वर कुबेरजी से लिए गए अपने ऋण को चुकाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां भक्‍त जितनी कीमत के बाल दान करते हैं भगवान उससे 10 गुना ज्‍यादा कीमत आपको धन के रूप में लौटाते हैं। ऐसा भी कहते हैं कि जो भी मनुष्‍य यहां आकर अपने बाल दान करता है उस पर मां लक्ष्‍मी की विशेष कृपा होती है। केवल यही नहीं बल्कि यहाँ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी मन्‍नत पूरी होने पर अपने केश दान करती हैं।

वहीं मंदिर में बाल दान करने के पीछे एक कहानी और है। इस कहानी के अनुसार प्राचीन काल में एक बार भगवान बालाजी के विग्रह पर चींटियों का पहाड़ बन गया था। तब एक गाय यहां आती थी और चींटियों के पहाड़ पर दूध देकर जाती थी। यह देखकर गाय के मालिक को बहुत गुस्‍सा आया और उसने कुल्‍हाड़ी से गाय के सिर पर वार किया। इस वार से बालाजी को घाव हो गया और उनके बहुत से बाल भी गिर गए थे। तब यहां मां नीला देवी ने अपने बाल काटकर बालाजी के घाव पर रख दिए। जैसे ही नीला देवी ने घाव पर बाल रखे वैसे ही उनका घाव भर गया। इससे प्रसन्‍न होकर नारायण ने कहा कि बाल शरीर की सुंदरता का सबसे प्रमुख हिस्‍सा हैं और देवी आपने मेरे लिए उसका ही त्‍याग कर दिया। अब से जो भी मनुष्‍य मेरे लिए बाल का त्‍याग करेगा, मैं उसकी हर इच्‍छा पूर्ण करूंगा। इसी मान्‍यता के फलस्‍वरूप बालाजी के मंदिर में बालों को दान करने की परंपरा चली आ रही है।