मृत्यु के पश्चात कैसा होता है आत्मा का सफर
शास्त्र अनुसार जो भी इस दुनिया में आया है उसे एक न एक दिन इसे छोड़कर जाना ही पड़ेगा यह एक कड़वा सच है जिसे कोई भी बदल नहीं सकता है जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है लेकिन अधिकतर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है ये कहा जाती है तो आपके इन सभी प्रश्नों का उत्तम धार्मिक महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में मिलता है
गरुड़ पुराण में आत्मा के यमलोक की यात्रा के बारे में विस्तार से बताया गया है मान्यता है कि जीवात्मा अपने कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक लोग में जाती है गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और उनकी सवारी गरुड़ पक्षी के बीच होने वाली बातचीत का वर्णन मिलता है जिसमें जन्म और मृत्यु के बारे में विस्तार से बताया गया है तो आज हम इसी पर चर्चा कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
गरुड़ पुराण की मान्यताओं के अनुसार मानव मृत्यु के बाद जीवात्मा को विभिन्न जगहों से गुजरना पड़ता है और इसके बाद पाप पुण्य का हिसाब किताब किया जाता है और फिर आगे का सफर तय होता है मान्यता है कि मृत्यु से पहले व्यक्ति की आवाज बंद हो जाती है वही शरीर की सभी इंद्रिया भी काम करना बंद कर देती है और अंतिम समय में परमात्मा द्वारा उसे दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है जिसके बाद आत्मा शरीर का त्याग कर देती है मृत्यु के पश्चात दो यमदूत आते हैं और जीवात्मा के साथ वैसा ही बर्ताव करते हैं जैसा कि उसने अपने जीवन काल में दूसरों के साथ किया होता है
पुराण में यह भी बताया गया है कि मृत्यु हो जाने के बाद आत्मा को तीन मार्ग प्राप्त होते हैं जिसमें पहला है अर्चि मार्ग यह वह मार्ग होता है जो देव लोक और ब्रह्म लोक के लिए होता है इसे सर्वोच्च मार्ग कहा गया है क्योंकि यहां पर वो ही मनुष्य जाता है जिसने अपने जीवन में कोई भी बुरा काम नहीं किया होता है जो जानबूझ कर कोई पाप नहीं करता है। वही दूसरा मार्ग धूम मार्ग बताया गया है जिसमें पितृ लोक की यात्रा करनी पड़ती है वही तीसरा मार्ग उत्पत्ति विनाश मार्ग होता है ये मार्ग नरक की यात्रा के लिए होता है इसे सबसे अधिक बुरा और कष्ट देने वाला माना माना जाता है इस मार्ग पर आत्मा को कई तरह के कष्ट झेलने पड़ते हैं।