इजराइल को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. बेंजामिन नेतन्याहू का ये मुल्क मई के महीने ईरान पर हमला करने वाला था. वो अमेरिका के साथ मिलकर इसे अंजाम देने वाला था. इजराइल का ये अटैक ईरान के न्यूक्लियर प्लांट पर होना था. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने आखिरी वक्त में इजराइल के प्रधानमंत्री को अटैक करने से रोक लिया.

8 अप्रैल को व्हाइट हाउस में ट्रंप ने नेतन्याहू से ईरान को एक मौका देने के लिए कहा. टैरिफ पर बातचीत के बहाने इजराइली पीएम ईरान पर हमले की हरी झंडी लेने के लिए अमेरिका गए थे. ट्रंप ने ईरान के साथ अमेरिका की बातचीत का नेतन्याहू को ऑफर दिया था. नेतन्याहू ने ट्रंप की बात मानते हुए लीबिया-स्टाइल में ईरान के साथ डील करने की शर्त रखी. शनिवार को ईरान और अमेरिका की बातचीत से 48 घंटे पहले ये खुलासा हुआ है.

रोम में होगी मुलाकात
ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ शनिवार को ईरान के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे. ट्रंप ने ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक से वाशिंगटन और तेहरान के बीच ओमान की मध्यस्थता की भूमिका के बारे में बात की थी. ट्रंप ने शनिवार को अमेरिकी और ईरानी अधिकारियों के बीच होने वाली बैठक से पहले ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को अपने शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोगियों के साथ मुलाकात की.

ईरान ने बुधवार को पुष्टि की कि ईरान-अमेरिका परमाणु वार्ता का दूसरा दौर रोम में आयोजित किया जाएगा. इससे पहले इस बात पर भ्रम था कि वार्ता कहां होगी. वार्ता की मध्यस्थता ओमान द्वारा की जाएगी. ओमान की राजधानी मस्कट में पहले दौर की वार्ता हो चुकी है.

ट्रंप ने दी है धमकी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार चेतावनी दी है कि यदि कोई समझौता नहीं हुआ तो वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाकर हवाई हमले करेंगे. ईरानी अधिकारी लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि वे अपने यूरेनियम भंडार को समृद्ध करके परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर सकते हैं.

अमेरिका का एक्शन
इस बीच अमेरिका ने ईरान से एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक कीमत का तेल खरीदने पर चीन की एक रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाया है. अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस धन से ईरान की सरकार को और ईरान समर्थित आतंकवादी समूहों को आर्थिक मदद मलती है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के अनुसार जिस रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाया गया है उसे ईरान से कच्चे तेल की दर्जनों खेप प्राप्त हुईं, जिनकी कीमत एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार कुछ खेप ईरान के अर्द्धसैनिक बल रिवोल्यूशनरी गार्ड से जुड़ी एक कंपनी से थी. प्रतिबंध की इस सूची में कई कंपनी और पोतों के नाम शामिल हैं.