वॉशिंगटन । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था इसके बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकी ओसामा बिन लादेन की पाकिस्तान को याद दिलाई थी। लादेन का नाम सुनते ही पाकिस्तान को मिर्ची लगी। इसके बाद पाकिस्तान ने पलटवार करने के चक्कर में सभी मर्यादाओं को लांघ दिया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने गुजरात दंगों की बात कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जयशंकर को लेकर बेहद अपमानजनक टिप्पणी की है।
जरदारी ने कहा ओसामा मर गया लेकिन नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं। वह पीएम बनने से पहले अमेरिका में आने से बैन थे। बिलाबल के बयान से साफ हो गया कि पाकिस्तान की लीडरशिप में चाहे जो हो आतंकी ओसामा उनके देश में मारा गया इस पर उन्हें बिल्कुल भी शर्मिंदगी नहीं होती। इसके अलावा बिलावल ने आरएसएस को लेकर भी अपना ज्ञान दिया। उन्होंने कहा यह आरएसएस के प्रधानमंत्री हैं यह आरएसएस के विदेश मंत्री हैं। आरएसएस क्या है? यह हिटलर की एसएस से प्रेरणा लेता है। 
बिलावल ने कहा कि भारत अब गांधी की विचारधारा पर नहीं चलता है। इससे पहले उन्होंने यूएनएसी में कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर एक बड़ा मुद्दा है और यूएन के प्रस्तावों को लागू करना चाहिए। इस पर भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने जवाब दिया था कि जिस देश ने ओसामा बिन लादेन को अपने यहां शरण दी और पड़ोस की संसद पर हमला कराया उन्हें इसतरह के मामलों पर उपदेश नहीं देना चाहिए।
भारत और पाकिस्तान की लीडरशिप की भाषा में पूरी दुनिया को अंतर दिखाई देता है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री रहने के दौरान इमरान खान भी बेहद अमर्यादित तरीके से बात करते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित कर वह इस तरीके से बात करते थे जैसे उनके वैचारिक मतभेद नहीं बल्कि कोई व्यक्तिगत दुश्मनी हो। लेकिन आतंकी ओसामा को वह पूरी इज्जत देते थे। इसकारण उनके पूरे कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी ने उन्हें सिर्फ इग्नोर किया। कई पाकिस्तानी पत्रकार भी इस बात को कहते रहे हैं कि इमरान की भाषा मोहल्ले की पॉलिटिक्स जैसी है। इमरान ने पाकिस्तान की संसद में ओसामा बिन लादेन को शहीद तक बता दिया था।