भोपाल । एमपी के मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीटों के लिए चल रही काउंसिलिंग आखिरी दौर में हैं। शनिवार को सेकंड राउंड की सीटों का अलॉटमेंट हो जाएगा। इस राउंड में कैंडिडेट्स के पास सीट छोडऩे का ऑप्शन नहीं होगा। सेकंड राउंड में कैंडिडेट्स पर सीट लिविंग बॉन्ड का नियम लागू रहेगा। फस्र्ट राउंड में सीट अलॉट होने के बाद जिन कैंडिडेट्स ने अपग्रेडेशन का ऑप्शन लेने वाले कैंडिडेट्स को सीट अपग्रेड न होने पर पहले चरण में आवंटित सीट पर ही दाखिला लेना होगा। समयसीमा गुजरने के बाद सीट छोडऩे पर बॉन्ड नियम के तहत निजी मेडिकल कॉलेज की पांच साल की फीस के बराबर करीब 30 लाख तक जुर्माना अदा करना होगा।
सेकंड राउंड की काउंसलिंग में अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंधपत्र (बॉन्ड) के नियम भी लागू होंगे। इसके तहत अभ्यर्थी को अपनी तीन साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद पांच साल तक ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में सेवा देना होगी। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो फिर 50 लाख रुपए का जुर्माना सरकार के पास जमा करना होगा। मालूम हो कि पिछले दो वर्षों में सरकार ने बॉन्ड नियमों का उल्लंघन के मामलों में सख्ती दिखाई है। जिन छात्रों ने बांड का उल्लंघन किया है उनसे जुर्माने की राशि सख्ती से वसूली गई है। मप्र मेडिकल काउंसिल बीते दो दशकों में पासआउट हुए डॉक्टरों से बॉन्ड की राशि के तौर पर करीब 70 करोड़ की वसूली कर चुका है।