पटना। बिहार के  मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार ने अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए सोमवार को सत्तारूढ़ एनडीए की बैठक की मेजबानी की।इस अवसर पर राज्य में एनडीए के सभी पांच सहयोगी दलों, भाजपा, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता, साथ ही जेडी(यू) के नेता मौजूद थे।नीतीश कुमार ने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे सुनिश्चित करें कि सभी जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में इसी तरह की बातचीत नियमित रूप से आयोजित की जाए।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा, मुख्यमंत्री ने 2025 में एनडीए को एक और जीत की ओर ले जाने की कसम खाई है। उन्होंने विपक्षी महागठबंधन को बेनकाब करने का भी आह्वान किया है, उन्होंने कहा कि वह उस गठबंधन से ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।


जेडी(यू) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने कहा-

मुख्यमंत्री ने राज्य को उदार सहायता देने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद दिया है। उन्होंने बैठक में मौजूद सभी नेताओं से लोगों, खासकर युवाओं को, जो राज्य के निराशाजनक अतीत से अवगत नहीं हैं, यह बताने का आग्रह किया है कि एनडीए के सत्ता में आने के बाद से राज्य ने कितनी बड़ी छलांग लगाई है।

जेडी(यू)-बीजेपी गठबंधन ने पहली बार 2005 में बिहार में सत्ता हासिल की थी, जब इसने लालू प्रसाद की आरजेडी के डेढ़ दशक के शासन को समाप्त किया था। बैठक में शामिल होने वालों में राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी थे, जो राज्यसभा सांसद हैं और जिन्होंने पिछले साल जेडी(यू) छोड़ दिया था और आरोप लगाया था कि कुमार ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित करके अपने तत्कालीन सहयोगी आरजेडी के सामने घुटने टेक दिए थे।

बैठक में शामिल होने वाले एक अन्य सहयोगी केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक जीतन राम मांझी थे, जिन्होंने दो साल पहले कुमार के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए एनडीए छोड़ दिया था, लेकिन पिछले साल वापस आकर आरोप लगाया कि जेडी(यू) सुप्रीमो पार्टी के विलय के लिए दबाव बना रहे हैं, जिसके कारण उनके बेटे संतोष सुमन को इस साल जनवरी में राज्य मंत्रिमंडल में फिर से शामिल होने में मदद मिली। बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही।