भोपाल । देश में अब चिप आधारित इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट बनाए जाएंगे। संभवत: जुलाई-अगस्त से ही यह पासपोर्ट बनना शुरू हो जाएंगे। इसके लिए भी टीसीएस को ठेका दिया गया है, जो पिछले कई सालों से पासपोर्ट बनाने के काम में संलग्न है। दुनिया के कई आधुनिक देश इस पासपोर्ट का ही इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें इमिग्रेशन के वक्त ऑटोमैटिक ही स्कैनिंग से लेकर अन्य प्रक्रिया पूरी होगी और समय भी बचेगा। चिप पर सारी व्यक्तिगत जानकारी रहेगी, जिससे संबंधित व्यक्ति के बारे में जानकारी मिल सकेगी। हालांकि कई विशेषज्ञों ने ई-पासपोर्ट के दुरुपयोग की संभावना भी व्यक्त की है, क्योंकि साइबर क्राइम भी तेजी से बढ़ रहा है।
अभी केन्द्रीय बजट प्रस्तुत किया गया, उसमें भी ई-पासपोर्ट की घोषणा वित्तमंत्री द्वारा की गई। विदेश मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट बनाने का ठेका भी टीसीएस को ही दिया है, जो कि एक हजार करोड़ से अधिक का रहने की उम्मीद है। इस ई-पासपोर्ट से विदेश यात्रा सुगम होने का दावा भी किया गया है। हालांकि 12-13 साल पहले भी ई-पासपोर्ट की घोषणा की गई थी और कुछ अफसरों, राजनाइकों को ई-पासपोर्ट जारी भी किए गए हैं। आईआईटी कानपुर और एनआईसी ने ई-पासपोर्ट का ऑपरेटिंंग सिस्टम ईजाद किया है। इसके लिए डाटा सेंटर से लेकर कई अन्य तकनीकी व्यवस्थाएं भी जुटाना पड़ेगी। दुनिया के लगभग 100 देशों में ई-पासपोर्ट चलने में हैं, जिसमें एक खास तरह की चिप का इस्तेमाल किया जाता है, जो पासपोर्ट के अंदर ही लगी रहेगी। जिस तरह ड्राइविंग लाइसेंस या वाहनों के रजिस्ट्रेशन में चिप का इस्तेमाल किया जाता है, उसी तरह अब ई-पासपोर्ट में चिप रहेगी और उसके साथ अगर थोड़ी-बहुत भी छेड़छाड़ की गई तो ई-पासपोर्ट काम नहीं करेगा। आवेदक की बायोमैट्रिक जानकारी ई-पासपोर्ट बनाते समय ली जाएगी, जिससे एयरपोर्ट पर उसकी पहचान आसान हो जाएगी। सूत्रों के मुताबिक चिप में 30 यात्राओं की जानकारी को स्टोर किया जा सकेगा। लगभग 100 देश ई-पासपोर्ट जारी कर रहे हैं और देश में भी राजनयिकों और अधिकारियों के लिए लगभग 20 हजार ई-पासपोर्ट पायलट प्रोजेक्ट के तहत जारी किए गए। ऑटोमैटिक मशीनों के द्वारा ईमिग्रेशन पर चैकिंग होगी। मशीन और कैमरा पासपोर्ट पर लगी चिप को स्कैन करेगा और अभी लगने वाला समय भी बचेगा।