भारत ने गत 13 मई को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। उस दिन वैश्विक बाजार में इसका भाव 1,167.2 डॉलर प्रति बशल था।वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी आ रही है। इसके साथ ही भारत में भीषण गर्मी के कारण उत्पादन में गिरावट भी मजबूती के लिए जिम्मेदार है। गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद घरेलू बाजार में इसकी कीमतें कम नहीं हो रही हैं। रोक के बाद से 12 दिन में खुदरा बाजार में गेहूं के दाम महज 54 पैसे प्रति किलो नरम हुए हैं। महंगे गेहूं के कई कारण हैं। विशेषज्ञों के  मुताबिक, उछलते वैश्विक दाम और देश में गेहूं उत्पादन में कमी आने से कीमतें मजबूत बनी हैं।भारत ने गत 13 मई को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। उस दिन वैश्विक बाजार में इसका भाव 1,167.2 डॉलर प्रति बशल था। 17 मई को यह और बढ़कर 1,284 डॉलर प्रति बशल पहुंच गया। हालांकि, 25 मई को भाव थोड़ा घटकर 1,128 डॉलर प्रति बशल पर आ गया। केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया का कहना है, वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी आ रही है। इसके साथ ही भारत में भीषण गर्मी के कारण उत्पादन में गिरावट भी मजबूती के लिए जिम्मेदार है। वैश्विक बाजार में जब तक दाम नहीं घटेंगे, घरेलू बाजार में कीमतों में गिरावट नहीं आएगी।केडिया ने कहा, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति प्रभावित होने से वैश्विक बाजार में तेजी है। भारत को थोड़ी राहत इसलिए है, क्योंकि तीन-चार साल से उत्पादन बेहतर होने के कारण हमारे पास गेहूं का पर्याप्त भंडार बना हुआ है। फिर भी सस्ते दाम के लिए कुछ महीने इंतजार करना पड़ेगा।