भोपाल :  केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश प्रगति के सभी क्षेत्रों में आगे है। भोपाल से लेकर हर चौपाल तक विकास हुआ है। मध्यप्रदेश में हॉलिस्टिक एप्रोच (समग्र दृष्टिकोण) से कार्य हुआ है। मध्यप्रदेश को देश के विकसित राज्यों  में पहुँचाने का प्रयास किया गया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश को प्रगति की ओर उन्मुख राज्य बनाया है। शाह आज भोपाल के कुशाभाऊ कन्वेंशन सेंटर में गरीब कल्याण महाअभियान में मध्यप्रदेश के रिपोर्ट कार्ड (2003-2023) को जारी कर संबोधित कर रहे थे।
केन्द्रीय मंत्री शाह ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में सतत् विकास की ओर अग्रसर होना है। वर्ष 2014 से प्रधानमंत्री मोदी जी ने मध्यप्रदेश को निरंतर और मन से आवश्यक सहयोग दिया है। बीमारू राज्य से बेमिसाल राज्य बनने वाले मध्यप्रदेश ने अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है। मध्यप्रदेश का गठन वर्ष 1956 में हुआ।

वर्ष 1980 में आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञ आशीष बोस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को एक प्रतिवेदन दिया था जिसमें अविभाजित मध्यप्रदेश सहित, उत्तरप्रदेश, बिहार और राजस्थान को बीमारु राज्य कहा गया था। तब इन राज्यों को देश की ग्रोथ में बाधा मानते हुए कहा गया था कि इन राज्यों में सुधार आसान नहीं है। लेकिन मध्यप्रदेश ने इस टैग को खत्म किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश को बीमारु राज्य से मुक्ति मिली है।  प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में सफलता मिली है। चाहे कृषि का क्षेत्र हो, युवाओं को स्वभाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की सुविधा देने का प्रश्न हो, महिलाओं का कल्याण हो, सड़क, पानी, बिजली का क्षेत्र हो, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र हो, गरीबों को योजनाओं का लाभ दिलवाने का कार्य हो, सभी में मध्यप्रदेश ने बीस वर्ष में उल्लेखनीय कार्य किया है। आम जनता के हित में कार्य कर मध्यप्रदेश में बेमिसाल राज्य बना। बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और सुशासन के साथ मजबूत कानून व्यवस्था से प्रदेश में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिला है।

केन्द्रीय मंत्री शाह ने कहा कि स्टेट को विकास में बाधा मानते हुए राइट ऑफ स्थिति वाला माना गया था, वो आज सबसे आगे है। मध्यप्रदेश में प्रत्येक योजना के निचले स्तर तक क्रियान्वयन की मजबूत नींव पर विकास और जन-कल्याण की इमारत खड़ी की गई है।

सभी क्षेत्रों में निरंतर आगे मध्यप्रदेश

केन्द्रीय मंत्री शाह ने कहा कि मध्यप्रदेश गरीबी से लोगों को मुक्ति दिलवाने में सबसे आगे है। पिछले 20 वर्ष में
 शिक्षा, सड़क, कृषि विकास दर, गेहूँ खरीदी, धान खरीदी, राशन के वितरण, विद्यालयों के उन्नयन, पर्यटन क्षेत्र परियोजनाओं के क्रियान्वयन, योजनाओं के संचालन, नयी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाएँ खोलने, राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण, हवाई अड्डों के विकास, ऊर्जा उत्पादन, ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा और अद्वैत संस्थान प्रारंभ करने की पहल, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण की पहल, सिंचाई क्षेत्र, महाकाल लोक के निर्माण, भोपाल और इन्दौर में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट, पेसा नियम लागू करने और निवेश के लिए मध्यप्रदेश को अनुकूल राज्य के रूप में उभारने के कार्य हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के भारत को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनाने और नए भारत के निर्माण करने के संकल्प में मध्यप्रदेश जैसे राज्य सहयोगी हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेता स्व. कुशाभाऊ ठाकरे का स्मरण भी किया।

मध्यप्रदेश को देश का सबसे अग्रणी राज्य बनायेंगें

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एक दौर था जब मध्यप्रदेश बीमारु राज्य था, पानी, बिजली, सड़क, डकैतों का आतंक जैसी कई समस्याओं से ग्रस्त था। आज हम इस छवि को बदलने में सफल रहे हैं। मध्यप्रदेश की अर्थ-व्यवस्था का आकार 2003 के 71 हज़ार करोड़ से  विगत वर्ष 13 लाख 50 हज़ार करोड़ तक ला दिया गया है। विशेषकर 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग से डबल इंजन की मध्यप्रदेश सरकार ने विकास के नये कीर्तिमान रचे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यप्रदेश के विकास को गति प्रदान करने में कोई कसर बाक़ी नहीं छोड़ी। मध्यप्रदेश के विकास को नई गति, नई दिशा प्राप्त हुई और दोगुनी गति से मध्यप्रदेश ने विकास किया। मध्यप्रदेश राष्ट्रीय विकास दर से तेज गति से प्रगति कर रहा है। राष्ट्रीय जीएसडीपी में योगदान का प्रतिशत भी इस अवधि में 3.6 प्रतिशत से बढ़कर आज 4.8 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2003 में 23 हज़ार करोड़ से बढ़कर आज मध्यप्रदेश का बजट 3 लाख 14 हज़ार करोड़ रुपये हो गया है। देश की 5 ट्रिलियन डॉलर  अर्थ-व्यवस्था के संकल्प में मध्यप्रदेश 550 बिलियन डॉलर का योगदान देने के लिए तेज़ी से कार्य कर रहा है। आज मध्यप्रदेश की विकास दर विगत वर्ष 19 प्रतिशत, वर्तमान वर्ष में 16 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हमारी सरकार इस प्रगति से संतुष्ट नहीं है। प्रधानमंत्री जी द्वारा अमृतकाल में वर्ष 2047 तक भारत को दुनिया का सबसे समृद्ध, वैभवशाली और गौरवशाली राष्ट्र बनाने के संकल्प में मध्यप्रदेश अपनी भूमिका का निर्वहन करेगा। हम मिलकर मध्यप्रदेश को देश का सबसे अग्रणी राज्य बनायेंगें।
अंतिम छोर के हर व्यक्ति तक विकास पहुँचायेंगे

सांसद वी.डी. शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में हम स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। अंतिम छोर के हर व्यक्ति तक विकास पहुँचायेंगे। कार्यक्रम में मंच पर गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम में गरीब कल्याण महा अभियान के अंतर्गत मध्यप्रदेश के दो दशक (2003-2023) में हुए विकास कार्यों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किए जाने के अवसर पर मध्यप्रदेश में विकास आयामों पर केन्द्रित फिल्म प्रदर्शित की गई। केन्द्र सरकार के गत 9 वर्ष के कार्यकाल में हुए उल्लेखनीय कार्यों एवं उपलब्धियों पर आधारित एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई। साथ ही गरीब कल्याण योजनाओं पर आधारित गीत लांच किया गया।
केन्द्रीय मंत्री शाह द्वारा मध्यप्रदेश की उपलब्धियों का विषय वार उल्लेख

 देश में यदि गत दस वर्ष में 10 प्रतिशत आबादी गरीबी के चक्र से बाहर निकली है तो उसमें मध्यप्रदेश का सर्वाधिक योगदान है।

 मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हर क्षेत्र में ढेर सारे परिवर्तन किए हैं। जहां तक प्रदेश के बजट के आकार की बात हो, यह वर्ष 2002 में 23 हजार 100 करोड़ था। अब यह 3 लाख 14 हजार करोड़ से अधिक है।

मध्यप्रदेश में शिक्षा का बजट 2556 करोड़ से बढ़कर 38 हजार करोड़ हुआ है। कोई भी समाज शिक्षा के विकास के बिना खड़ा नहीं हो सकता।

मध्यप्रदेश में पूर्व सरकार के समय स्वास्थ्य का बजट सिर्फ 580 करोड़ रुपये था जो अब 16 हजार करोड़ है। इसमें आयुष्मान भारत योजना शामिल नहीं है।

सर्व शिक्षा अभियान में सिर्फ 844 रुपये की राशि खर्च होती थी अब लगभग 7 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।

अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण पर में भी बजट में वृद्धि हुई है। पहले जहां 1056 करोड़ रुपये की राशि खर्च होती थी अब 64 हजार 390 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।

सर्व शिक्षा अभियान में सिर्फ 844 रुपये की राशि खर्च होती थी अब लगभग 7 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।

अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण पर में भी बजट में वृद्धि हुई है। पहले जहां 1056 करोड़ रुपये की राशि खर्च होती थी अब 64 हजार 390 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।

मध्यप्रदेश प्रति व्यक्ति आय पहले 11 हजार 700 रुपए थी जो अब बढ़कर एक लाख 40 हजार रुपए हो गई है।
एमएसएमई सेक्टर में साल भर में 4 हजार 299 उद्योगों के पंजीयन होते थे। अब इनकी संख्या 3 लाख 61 हजार है।

सड़क निर्माण में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। पहले सिर्फ 60हजार किलोमीटर सड़कें थीं। अब मध्यप्रदेश में 5 लाख 10 हजार किलोमीटर लम्बाई से अधिक की सड़कें हैं जो आठ गुना से भी ज्यादा हैं। एनएच सड़कों की लम्बाई 4800 से बढ़कर 13 हजार किलोमीटर हो गई।

कृषि क्षेत्र में कृषि विकास दर साढ़े छह गुना बढ़ गई है। गेंहूँ खरीदी 4 लाख 38 हजार मीट्रिक टन से 70 लाख 96 हजार मीट्रिक टन हो गई है। धान खरीदी 0.95 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर 46 लाख 30 हजार मीट्रिक टन हो गई है। प्रदेश में 90 लाख से अधिक किसानों को 19 हजार करोड़ रुपए से अधिक लाभ दिए गए हैं।

मध्यप्रदेश में नि:शुल्क राशन वितरण का लाभ सिर्फ 52 लाख परिवारों को मिलता था जो करीब सवा करोड़ लोगों को मिल रहा है।

मेडिकल सीटें 620 थीं जो अब 4 हजार से ज्यादा हैं।

एकलव्य आवासी आदर्श विद्यालय बिलकुल नहीं थे इनकी संख्या अब 63 है।

आईटीआई की सख्या 159 से बढ़कर 1514 हो गई है।

पर्यटन क्षेत्र में सड़कों के बनने से पर्यटक संख्या बढ़ी है। एक समय सिर्फ 64 लाख पर्यटक प्रतिवर्ष आते थे, इनकी संख्या बढ़कर 9 करोड़ हो गई है।
प्रदेश में तीन शहरों रीवा, ग्वालियर और जबलपुर में एयर पोर्ट विकास और टर्मिनल निर्माण के कार्य हो रहे हैं। इंदौर को दिल्ली- मुम्बई कॉरीडोर में शामिल किया गया ।

प्रदेश की ऊर्जा क्षमता 29 हजार मेगावाट से भी अधिक है।

सिंचाई साधनों के विस्तार से 47 लाख हेक्टर से अधिक क्षेत्र सिंचित हो रहा है।

प्रदेश में 46 लाख से अधिक बालिकाओं को लाड़ली लक्ष्मी योजना और 53 लाख से अधिक बहनों को स्वसहायता समूहों से जोड़कर लाभान्वित किया गया है।

इंदौर और भोपाल में मेट्रो रेल परियोजनाएं क्रियान्वित हो रही हैं।

प्रदेश में मेडिकल कॉलेज की संख्या 4 से बढ़कर 24 तक हो गई है।

प्रदेश में जनजातीय समाज के हित में पेसा कानून लागू करने और जनजातीय संस्कृति दिखाने वाले संग्रहालय की स्थापना की जा रही है।

मध्यप्रदेश औद्योगिक निवेश के लिए फेवरेट डेस्टिनेशन बना है।

खण्डवा जिले में ओंकारेश्वर में 2400 करोड़ रुपए लागत से विद्युत उत्पादन इकाई प्रारंभ की जा रही है।

प्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण की पहल हुई है।

प्रदेश की आर्थिक विकास दर 16 प्रतिशत से अधिक है।