नई दिल्ली। गुवाहाटी में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अदालत ने 2011 में पीएलए-सीपीआई (माओवादी) सांठगांठ मामले में भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालने की आपराधिक साजिश से जुड़े पांच आरोपियों को दोषी ठहराया है। दोषी ठहराए गए आरोपियों में से तीन मणिपुर की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलएएम) और दो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के थे। अदालत ने पीएलएएम के एन दिलीप सिंह उर्फ वांगबा, सेंजम धीरेन सिंह उर्फ एस बाबू सिंह, अर्नोल्ड सिंह उर्फ के. अर्नोल्ड सिंह, इंद्रनील चंदा उर्फ राज और अमित बागची उर्फ अमिताभ को दोषी ठहराया गया। एनआईए ने 01 जुलाई, 2011 को इस इनपुट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन पीएलएम ने सीपीआई (माओवादी) के समर्थन से देश को अस्थिर करने की साजिश रची थी। एनआईए अधिकारी ने कहा ‎कि भाकपा (माओवादी) के नेताओं ने एक अलग राष्ट्र के रूप में पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के निर्माण के लिए पीएलएएम की अलगाववादी गतिविधियों को पहचानने और समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की थी। पीएलएएम नेतृत्व ने भारत की संवैधानिक रूप से निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए अपनी ओर से भाकपा (माओवादी) के जारी युद्ध का समर्थन करने का फैसला किया। एनआईए की जांच से पता चला है कि पीएलएएम ने कोलकाता में एक संपर्क कार्यालय स्थापित किया था, जहां पीएलएएम/आरपीएफ और सीपीआई (माओवादी) नेताओं के बीच एक बैठक हुई थी। बैठक में भारत संघ के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए एकीकृत कार्रवाई करने के तौर-तरीकों पर काम किया गया।
पीएलएएम/आरपीएफ प्रशिक्षकों द्वारा सीपीआई (माओवादी) के कैडरों को सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए झारखंड में पीएलएएम/आरपीएफ और सीपीआई (माओवादी) नेतृत्व के बीच एक द्विदलीय बैठक भी आयोजित की गई थी। अधिकारी ने कहा, जांच के दौरान यह भी सामने आया कि पीएलएएम/आरपीएफ के एसएस अध्यक्ष ने भी सीपीआई (माओवादी) के महासचिव को 6 अप्रैल, 2010 को छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों पर हमला करने के लिए बधाई दी थी, जिसके परिणामस्वरूप 76 सीआरपीएफ जवानों की मौत हो गई थी। वहीं पीएलएएम ने माओवादी कैडरों को रसद सहायता प्रदान की थी और दोनों समूह नियमित रूप से संचार और ई-मेल का आदान-प्रदान कर रहे थे। आरोपी व्यक्तियों ने भारत के भीतर और बाहर विभिन्न स्थानों की यात्रा की थी, और नकली पहचान के तहत फर्जी आईडी और बैंक खाते बनाए थे। इन निष्कर्षों के आधार पर इस मामले में पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया।