चेरापूंजी । मेघालय के चेरापूंजी में सबसे ज्यादा बारिश होती है। यहां 12 महीने पानी गिरता है। इसके बाद भी यहां 50 रुपए में 20 लीटर पानी, पीने के लिए खरीदना पड़ता है। यहां की 20,000 की आबादी हमेशा प्यासी बनी रहती है। 
 2 साल पहले ग्रेटर सोहरा चेरापूंजी जलापूर्ति योजना के उद्घाटन होने के बाद,लोगों को आशा जगी थी, कि अब उन्हें नियमित रूप से पीने का पानी उपलब्ध होगा। लेकिन यह प्रोजेक्ट भी हवा हवाई साबित हुआ। 24 करोड़ की लागत से बना यह प्रोजेक्ट जल स्त्रोत सूखने के कारण पानी की सप्लाई नहीं कर पा रहा है। 
 विश्व में सबसे ज्यादा बारिश चेरापूंजी में ही होती है। 11430 एमएम बारिश का वर्ल्ड रिकॉर्ड चेरापूंजी के नाम पर है। इसके बाद भी यहां के लोग पीने के पानी की किल्लत कई वर्षों से झेल रहे हैं। 
 यहां पर पेयजल टैंकरों से सप्लाई होता है। वह भी जब, जल स्त्रोतों में पेयजल इकट्ठा होता है। सरकारी नलों में हफ्ते में एक बार 1 घंटे के लिए कम दबाव में पानी की सप्लाई होती है। महिलाओं को 5 से 10 किलोमीटर दूरी से पानी लेने जाना पड़ता है। यहां पर 20 लीटर पानी की बोतल 50 रूपये में मिलती है। यहां पर प्रधानमंत्री की नल जल योजना का भी पता नहीं है। शासन और प्रशासन सबको पता है। लेकिन यहां के लोग पानी पीने के लिए तरसते हैं। 
चेरापूंजी में लगभग लगभग 12 महीने बारिश होती है। बारिश का पानी यहां पर बह जाता है। पानी को रोकने के लिए जल संग्रह के स्त्रोत सरकार द्वारा तैयार नहीं किए गए हैं। पथरीली जमीन में वाटर हार्वेस्टिंग भी नहीं हो पाती है। रूफटॉप वाटर कलेक्शन भी,यहां पर सफल नहीं है। घरों की जंकीली छतों मे पानी को इकट्ठा होने के बाद पानी को खराब कर देती हैं। उसमें सड़ांध पैदा हो जाती है। स्वाद खराब हो जाता है। जिसके कारण लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ता है।